डूब गया है एक सितारा आँखों में ठहर गया है नक़्श तुम्हारा आँखों में पथराई हैं आँखें ग़म की शिद्दत से रुका हुआ है मौसम सारा आँखों में वो लोगों के साथ हँसी में शामिल थी फैल गया लेकिन मस्कारा आँखों में मैं ने उस की आँखों में चेहरा देखा उस ने अपना रूप सँवारा आँखों में बहुत दिनों से हम को नींद नहीं आई तुम ने कैसा ख़्वाब उतारा आँखों में चारों जानिब पानी की पहनाई है कहीं नहीं है कोई किनारा आँखों में लिए हुए फिरता हूँ एक ज़माने से तेरे चेहरे का लशकारा आँखों में