डूबना है उस से ये इक़रार कर लेना मिरा फिर ब-आसानी समुंदर पार कर लेना मिरा कौन पूछे मुझ से मेरी गोशा-गीरी का सबब कौन समझे दर कभी दीवार कर लेना मिरा एक ख़ुश्बू बन के गुज़रे सर से सारे गर्म ओ सर्द उस का चेहरा थामना और प्यार कर लेना मिरा बन गया लोगों की शान-ए-कज-कुलाही का सवाल अपने सर को लाएक़-ए-दस्तार कर लेना मिरा 'रम्ज़' उस को दे गया इक तर्ज़-ए-फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ बंद आँखों को लब-ए-इज़हार कर लेना मिरा