दुखा है दिल तभी तो मुझ पे छाई है उदासी भी मिरी पलकों पे आँसू भी लबों पर है ख़मोशी भी जुदाई में मिरे दिल की सुनो क्या हो गई हालत मिरे दिल में है वहशत भी बड़ी है बे-क़रारी भी मिरी आँखों में वीरानी मिरे दिल को परेशानी कुछ ऐसी चुप हुई हूँ मैं नहीं है ख़ुद-कलामी भी हमें तो हिज्र में ही काटनी है ज़िंदगी अब तो वो आ जाए नहीं उम्मीद बाक़ी अब ज़रा सी भी अगरचे चोट गहरी है 'दुआ' फिर भी नहीं बदली वही हँसने की आदत भी वही है ख़ुश-मिज़ाजी भी