दुनिया ने यही मुझ को हर बार बताया है कोई भी नहीं अपना हर शख़्स पराया है ये वक़्त मुझे अक्सर लेता है निशाने पर मैं ने भी इसे अपना अंदाज़ दिखाया है आँधी ने गिराए हैं कुछ पेड़ बड़े लेकिन मुश्किल में खड़े रहना ये पाठ पढ़ाया है इक राह जुदा होती इक राह नज़र आती मंज़िल का पता उस ने कुछ यूँ भी बताया है करना है बड़ा ख़ुद को तो सोच बड़ी रखना गमले में भला किस ने बरगद को उगाया है जो आँख की हद में था देखा है वही पहले फिर दिल की निगाहों ने कुछ और दिखाया है