दूर दूर मंज़िल का कुछ पता नहीं मिलता रात के मुसाफ़िर को रास्ता नहीं मिलता वो तिरा सितम जिस पर दिल को प्यार आता है ये मिरी वफ़ा जिस का कुछ सिला नहीं मिलता दर्द के समुंदर में दिल की नाव डूबी थी तुम कहाँ थे ऐसे में कुछ पता नहीं मिलता सब ग़म-ए-मोहब्बत का जब्र सह नहीं सकते सब को ज़हर पीने का हौसला नहीं मिलता हाए उस सितमगर को उस गिले का शिकवा है दिल के सारे क़िस्से में जो गिला नहीं मिलता दिल की रहगुज़ारों को जाने क्या हुआ 'मसरूर' अब कोई बहारों का क़ाफ़िला नहीं मिलता