दूर हैं वो और कितनी दूर फिर भी मिरी नज़रों के हुज़ूर रंज-ओ-मुसीबत जौर-ओ-सितम आप की ख़ातिर सब मंज़ूर दिल पर बीते लब पे न आए हाए मोहब्बत का दस्तूर हसरत-ए-दीद अज़ दीद बुलंद हूर से बेहतर वादा-ए-हूर पर्दा-ए-रंग-ओ-बू तो उठाओ होगा कोई न कोई ज़रूर दौर-ए-तरक़्क़ी क्या है 'शकील' दुनिया की अक़्लों का फ़ुतूर