ऐ बुत जफ़ा से अपनी लिया कर वफ़ा का काम बंदों के काम आ कि यही है ख़ुदा का काम किस जा था क़स्द शौक़ ने पहुँचा दिया किधर कहते न थे ठगों से न ले रहनुमा का काम कहता है दिल सुना मुझे गेसू की दास्ताँ आज उस ने सर पे डाल दिया है बला का काम तासीर को न आह से पूछूँ तो क्या करूँ क्यूँ ख़ुद उठा लिया दिल-ए-बे-मुद्दआ का काम अपनी सी तू तो कर उन्हें फिर इख़्तियार है सुनना है उन का काम पहुँचना दुआ का काम सीने में दाग़ खिलते ही जाते हैं हर नफ़स अब अपनी साँस करती है बाद-ए-सबा का काम मूसा फ़क़त न थे तिरे आईना-दारों में ईसा भी करते थे लब-ए-मोजिज़-नुमा का काम हर रात अपनी आँखों को रोना है फ़र्ज़-ए-ऐन ताअत-गुज़ार करते हैं जैसे ख़ुदा का काम था भी ज़लील हुस्न की सरकार में ये दिल कम-बख़्त को सुपुर्द हुआ इल्तिजा का काम ऐ 'शाद' मेरी सख़्त-ज़बानी पे है ख़मोश नासेह भी अब तो करने लगा अंबिया का काम