ऐ दर्द दिल में रह कर दिल ही का राज़ हो जा बीमार-ए-ग़म का अपने ख़ुद चारासाज़ हो जा ऐ जज़्ब-ए-दिल सरापा सोज़-ओ-गुदाज़ हो जा दुनिया-ए-रंग-ओ-बू में दुनिया-ए-राज़ हो जा हाँ हाँ बढ़ा दे मुद्दत पाबंदी-ए-जुनूँ की ज़ुल्फ़-ए-दराज़-ए-जानाँ उम्र-ए-दराज़ हो जा हर ज़र्रा-ए-हक़ीक़त ये दे रहा सदा है पहले रह-ए-तलब में ख़ाक-ए-मजाज़ हो जा सर नामा-ए-अदम है उन्वान-ए-ज़िंदगानी ऐ इम्तियाज़-ए-हस्ती तफ़्सीर-ए-राज़ हो जा ऐ बे-ख़बर गुज़र जा ज़ौक़-ए-नज़र की हद से जल्वों में उस के घिर कर जल्वा-तराज़ हो जा ऐ बंदा-ए-तरीक़त आदाब-ए-ज़िंदगी सुन महव-ए-सुजूद हो कर जान-ए-नमाज़ हो जा ख़िर्क़ा शराब से तर दस्तार मय से रंगीं ऐ शैख़-ए-पाक-दामन यूँ पाक-बाज़ हो जा तू राज़दाँ है दिल का दिल राज़-दार-ए-उल्फ़त या सरफ़राज़ कर दे या सरफ़राज़ हो जा तू रौनक़-ए-हरम है या बुत-कदा की ज़ीनत ख़ुद इम्तियाज़ बन कर इक इम्तियाज़ हो जा जाना है जब मुक़र्रर दार-ए-फ़ना से 'अफ़्क़र' राह-ए-वफ़ा में मिट कर ख़ाक-ए-हिजाज़ हो जा