ऐ दिल इस का तुझे अंदाज़-ए-सुख़न याद नहीं वो फिरी आँख वो माथे की शिकन याद नहीं क़ैद-ए-सय्याद में जब से हूँ चमन याद नहीं दोस्त हैं अहल-ए-क़फ़स अहल-ए-वतन याद नहीं हिज्र में दिल के हमें दाग़-ए-कुहन याद नहीं मुस्कुराते हुए फूलों का चमन याद नहीं वो ख़ुनुक चाँदनी रातें वो फ़ज़ा आप और मैं और वादे वो लब-ए-गंग-ओ-जमन याद नहीं मैं वो नाकाम मुसाफ़िर हूँ जहाँ में जिस को शाम-ए-ग़ुर्बत के सिवा सुब्ह-ए-वतन याद नहीं आरज़ू दोस्त की बेकार है ग़ुर्बत में 'रशीद' आप को हालत-ए-यारान-ए-वतन याद नहीं