ऐ दिल शरीक-ए-ताइफ़ा-ए-वज्द-ओ-हाल हो प्यारे ये ऐब है तो ब-हद्द-ए-कमाल हो 'शिबली'-ओ-'बायज़ीद'-ओ-'गुरूनानक'-ओ-'कबीर' हंगामा-ए-जलाल में रक़्स-ए-जमाल हो सब की ज़बाँ पे मस्त-क़लंदर हो दम-ब-दम फिर उस के बा'द रात में डट कर धमाल हो फिर हम-सफ़र करें तरफ़-ए-सम्त-ए-ला-जेहत ने शर्क़-ओ-ग़र्ब हो न जुनूब-ओ-शुमाल हो आसाँ रुजू-ए-शम्स है लेकिन तिरे मलंग पहुँचें वहाँ जहाँ से पलटना मुहाल हो इक काएनात-ए-ख़्वाब ब-सद मुम्किनात-ए-ख़्वाब नैरंगी-ए-ख़याल ब-हुस्न-ए-ख़याल हो सरशार-ओ-सरबलंद-ओ-सियह-मस्त-ओ-सरफरोश माहौल अपने हाल में गुम हो वो हाल हो गीता का तज़्किरा हो तो गौतम से गुफ़्तुगू और वेद की ज़बाँ में जवाब-ओ-सवाल हो ऐ ख़िज़्र-ए-वक़्त मजलिस-ए-अक़्ताब-ए-वक़्त में ज़िक्र-ए-मोआ'मला हो न फ़िक्र-ए-मआल हो हम यूँ रवाँ हों राह-ए-अबद में कि सद्द-ए-राह मुस्तक़बिल-ए-वजूद न माज़ी-ओ-हाल हो क्या क्या तसव्वुरात हैं क्या क्या तख़य्युलात ऐसा न हो कि ये भी तिलिस्म-ए-ख़याल हो सब कुछ है गर तिलिस्म-ए-ख़याल-ओ-फ़ुसूँ तो फिर ऐ दिल शरीक-ए-ताइफ़ा-ए-वज्द-ओ-हाल हो