ऐ दिल उस ज़ुल्फ़ की रखियो न तमन्ना बाक़ी हश्र तक वर्ना रहेगी शब-ए-यलदा बाक़ी तिरे हंगामा से ख़ुश हूँ मगर ऐ जोश-ए-जुनूँ कुछ क़यामत के लिए भी रहे ग़ौग़ा बाक़ी आप को बेच चुका हूँ तिरे ग़म के हाथों है मगर इश्क़ का तेरे अभी सौदा बाक़ी ग़म-ए-हिज्राँ में गई जान चलो ख़ूब हुआ दोस्तों को न रहे फ़िक्र-ए-मुदावा बाक़ी जान सीने से निकलने को है दिल पहलू से है फ़क़त उस निगह-ए-नाज़ का ईमा बाक़ी ख़ाक-ए-आशिक़ से उगाता है मुग़ीलाँ का दरख़्त उस की मिज़्गाँ का है मरक़द में भी खटका बाक़ी