ऐ ग़म-ए-दिल ये माजरा क्या है दर्द-ए-उल्फ़त से वास्ता क्या है रहने दो इन हसीन वा'दों को झूटे वा'दे हैं सब नया क्या है जाम-ओ-मीना को छोड़ कर देखो चश्म-ए-साक़ी का ये नशा क्या है शो'ला-ए-ग़म को और भड़काए कौन समझे कि ये हुआ क्या है छिन गया है सुकून भी मेरा आशिक़ी ने मुझे दिया क्या है चारागर कोई भी न जान सका मौत और इश्क़ की दवा क्या है क्या भरोसा है ज़िंदगानी का जाने तक़दीर में लिखा क्या है चश्म-ए-पुर-नम मगर लबों पे हँसी दिल में 'मोना' तिरे छुपा क्या है