ऐ जुनूँ दश्त में दीवार कहाँ से लाऊँ मैं तमाशा सही बाज़ार कहाँ से लाऊँ याद-ए-अय्याम कि कुछ सर में समाई थी हवा अब वो टूटा हुआ पिंदार कहाँ से लाऊँ किस से पूछूँ कि मिरा हाल-ए-परेशाँ क्या है तुझ को ऐ आइना-बरदार कहाँ से लाऊँ मेरी उन आँखों ने जैसे तुझे देखा ही नहीं हाए वो हसरत-ए-दीदार कहाँ से लाऊँ इन निगाहों में तरसने की सी कैफ़िय्यत है ताक़त-ए-पुर्सिश-ए-बीमार कहाँ से लाऊँ अब मिरे कुफ़्र को ईमाँ नहीं कहता कोई तुझ को ऐ चश्म-ए-तरफ़-दार कहाँ से लाऊँ था ये घर बाब-ए-दुआ मिस्ल-ए-असर तेरा वरूद अब तुझे ऐ क़दम-ए-यार कहाँ से लाऊँ