ऐ मेरे इश्क़ मुझे और बे-क़रार न कर वो बेवफ़ा है मोहब्बत की हद को पार न कर बग़ौर देख मुझे तू ऐ संग-दिल दुनिया मैं एक फूल हूँ इस तरह संगसार न कर वो बेवफ़ा है नहीं जब उसे कोई परवाह तो अपने ज़ेहन पे तू भी उसे सवार न कर अजब ये दिल है नहीं मानता मिरा कहना मैं उस से रोज़ ये कहता हूँ इंतिज़ार न कर मैं आज उस के ख़यालों में जीना चाहता हूँ कि आज मुझ को परेशान मेरे यार न कर ग़मों से चाक गरेबाँ है ऐ शरर 'नक़वी' कोई ये उस से कहे और तार तार न कर