ऐ मुसव्विर जो मिरी तस्वीर खींच हसरत-आगीं ग़म-ज़दा दिल-गीर खींच जज़्ब भी कुछ ऐ तसव्वुर चाहिए ख़ुद खिंचे जिस शोख़ की तस्वीर खींच ऐ मोहब्बत दाग़-ए-दिल मुरझा न जाएँ इत्र इन फूलों का बे-ताख़ीर खींच आ बुतों में देख ज़ाहिद शान-ए-हक़ दैर में चल नारा-ए-तकबीर खींच एक साग़र पी के बूढ़ा हो जवान वो शराब ऐ मय-कदे के पैर खींच दिल न उस बुत का दुखे कहता है इश्क़ खींच जो नाला वो बे-तासीर खींच दिल इधर बेताब है तरकश उधर खींचता हूँ आह मैं तू तीर खींच कुछ तो काम आ हिज्र में ओ इज़्तिराब शोख़ी-ए-महबूब की तस्वीर खींच क़ैस से दश्त-ए-जुनूँ में कह 'जलाल' आगे आगे चल मिरे ज़ंजीर खींच