ऐ निगार-ए-ग़म-ओ-आलाम तिरी उम्र दराज़ तू ने बख़्शे बहुत आराम तिरी उम्र दराज़ शहर में दश्त में सहरा में जहाँ भी देखा अब है मशहूर मिरा नाम तिरी उम्र दराज़ सुर्ख़-रू अब भी तू हर कूचा-ओ-बाज़ार में है अपने सर हैं सभी इल्ज़ाम तिरी उम्र दराज़ फ़स्ल-ए-गुल आई थी ले ले के तिरा नाम गई तू कहाँ फिरता था ना-काम तिरी उम्र दराज़ सुब्ह ने फिर मिरे ज़ख़्मों से उजाला माँगा एक ज़ख़्म और मिरे नाम तिरी उम्र दराज़ दिल के तारीक ख़राबे में तिरी याद का नूर आज आया है बड़े काम तिरी उम्र दराज़ छोड़ कर फूलों की रुत फूल से चेहरों को 'शोएब' तुझ को वीराने से क्या काम तिरी उम्र दराज़