इक भूल सी ज़रूर कहीं कर रहे हैं हम By Ghazal << कौन से थे वो तुम्हारे अहद... मेरी मानिंद ख़ुद-निगर तन्... >> इक भूल सी ज़रूर कहीं कर रहे हैं हम कोई ज़रूरी काम नहीं कर रहे हैं हम चूमा है जिन लबों हज़ार उन के ख़ून मुआ'फ़ तो झूट ख़ूब बोल यक़ीं कर रहे हैं हम बाहर से मर गए हैं कि मारे न जा सकें जीने का काम ज़ेर-ए-ज़मीं कर रहे हैं हम Share on: