![](http://cdn.pagalshayari.com/images/ghazal/ek-din-jahan-men-aaseb-firega-aisa-saqi-faruqi-ghazal-hindi.jpg)
एक दिन ज़ेहन में आसेब फिरेगा ऐसा ये समन-ज़ार नज़र आएगा सहरा ऐसा मैं ने क्या रंज दिए अश्क न लौटाए मुझे ऐ मिरे दिल कोई बे-फ़ैज़ न देखा ऐसा एक मुद्दत से कोई लहर न उट्ठी मुझ में मेरी आँखों से छुपा चाँद का चेहरा ऐसा रात कहती है मुलाक़ात न होगी अपनी तू कोई ख़्वाब न मैं नींद का माता ऐसा जिस्म की सतह पे काग़ज़ की तरह ज़िंदा हैं तू समुंदर है न मैं डूबने वाला ऐसा तेरे चेहरे पे उजाले की सख़ावत ऐसी और मिरी रूह में नादार अंधेरा ऐसा हर नए दर्द की पोशाक पहन ली मैं ने जाँ मोहज़्ज़ब न हुई मैं था बरहना ऐसा
This is a great जेहन शायरी.