एक हम से तुझे नहीं इख़्लास घर-ब-घर तुझ को हर कहीं इख़्लास रू-सियाही सिवा नहीं हासिल नाम से मत कर ऐ नगीं इख़्लास देख तुझ ज़ुल्फ़ ओ रू की उल्फ़त को करते हैं आज कुफ़्र ओ दीं इख़्लास ज़ोर ही हम से तीं रखा प्यारे वाह-वा रहमत-आफ़रीं इख़्लास मिस्ल-ए-नक़्श-ए-क़दम ये रखती है तेरे दर से मिरी जबीं इख़्लास गर तमन्ना गुहर की है तो कर चश्म मेरी से आस्तीं इख़्लास आदम इस दाम में फँसा 'सौदा' रक्खे दाने से ख़ोशा-चीं इख़्लास