इक क़यामत है जवानी इक क़यामत है शबाब हर तबस्सुम एक तूफ़ाँ हर नज़र इक इंक़लाब हर तरफ़ एक आह-ओ-ज़ारी हर तरफ़ एक इज़्तिराब कितनी सौग़ातें लिए आया है दौर-ए-इंक़िलाब साग़र-ओ-मीना पटक दे तोड़ दे चंग-ओ-रुबाब देख सर पर आ चुका है आफ़्ताब-ए-इंक़लाब इश्क़ के दस्तूर दुनिया से अलग दस्तूर हैं इस की गुमनामी में शोहरत इस की ख़ामोशी जवाब ऐ मिरी नज़रों की जन्नत क्या तुझे मा'लूम है किस के सदक़े हो रहे हैं आफ़ताब-ओ-माहताब मैं तो कहता हूँ ख़ुदा का शुक्र करना चाहिए जान दे कर भी जो हो जाए मोहब्बत कामयाब ऐ दिल-ए-ग़म-आशना अब तो वो हम से छुट गए और क्या इस से ज़ियादा होगा कोई इंक़लाब उन से बातें कर रहा हूँ वो खड़े हैं सामने जागता रहता हूँ लेकिन देखता रहता हूँ ख़्वाब बंदिशें दोनों तरफ़ पाबंदियाँ दोनों तरफ़ एक पाबंद-ए-मोहब्बत एक पाबंद-ए-हिजाब मुझ को ऐ 'शारिब' फ़िशार-ए-क़ब्र का क्या ख़ौफ़ हो मैं ग़ुलाम-ए-शाह-ए-यसरिब मैं ग़ुलाम-ए-बू-तुराब