एक लहराती हुई नद्दी का साहिल हुआ मैं फिर हुआ ये कि हर इक लहर से घाएल हुआ मैं अब बनाते हैं मिरे दोस्त निशाना मुझ को तुझ को पाने की तलब में किसी क़ाबिल हुआ मैं दिल में इस राज़ को ता-उम्र छुपा कर रक्खा किस की चाहत में था शामिल किसे हासिल हुआ मैं आ गया इश्क़ का मफ़्हूम समझ में उस की उस के ख़्वाबों में किसी रोज़ जो दाख़िल हुआ मैं तू सुख़न-वर है तो मुझ को भी ये हासिल है शरफ़ लफ़्ज़ बन कर तिरे दीवान में शामिल हुआ मैं एक मुद्दत से समझने में लगा हूँ ख़ुद को यानी अब अपने लिए भी बड़ा मुश्किल हुआ मैं