एक मेहमाँ का हिज्र तारी है मेज़बानी की मश्क़ जारी है सिर्फ़ हल्की सी बे-क़रारी है आज की रात दिल पे भारी है कोई पंछी कोई शिकारी है ज़िंदा रहने की जंग जारी है बस तिरे ग़म की ग़म-गुसारी है और क्या शाएरी हमारी है आप करते हैं शबनमी बातें और मिरी प्यास रेग-ज़ारी है अब कहाँ दश्त में जुनूँ वाले जिस को देखो वही शिकारी है मेरे आँसू नहीं हैं ला-वारिस इक तबस्सुम से रिश्ते-दारी है