एक मुद्दत धड़कता रहा मेरा दिल आप की राह तकता रहा मेरा दिल इक कली सी खिली थी तमन्नाओं की एक अर्सा महकता रहा मेरा दिल शहर हैरान हैं मेरी रूदाद पर दश्त में क्यूँ भटकता रहा मेरा दिल इतनी काँटों भरी रहगुज़र थी मिरी हर क़दम पर अटकता रहा मेरा दिल इज़्न-ए-इज़हार मिल भी गया था मगर किस लिए फिर झिजकता रहा मेरा दिल