एक रिश्ता बना रहा है मुझे एक रिश्ता मिटा रहा है मुझे ये दिया चुप नहीं रहा शब भर इक कहानी सुना रहा है मुझे अब मुझे कील से लटकना है पेंटिंग सी बना रहा है मुझे अश्क आँखों में रेत साँसों में इश्क़ क्या क्या सिखा रहा है मुझे आग का राग है इसे मत छेड़ बे-ख़बर क्यों जला रहा है मुझे लोक धुन जैसी खो गई थी मैं जाने अब कौन गा रहा है मुझे सारे दुख सुख उलझ गए आख़िर वक़्त सब कुछ भुला रहा है मुझे आग ही आग का इज़ाला थी वक़्त कुंदन बना रहा है मुझे मैं नहीं जानती बुरा या भला कुछ न कुछ याद आ रहा है मुझे हर तरफ़ इक पुकार सुनती हूँ कोई अपना बुला रहा है मुझे एक दरिया जो उल्टा बहता है साथ अपने बहा रहा है मुझे जैसे मैं रेत का घरौंदा थी तोड़ कर फिर बना रहा है मुझे बाँध कर मेरी दोनों आँखों को कोई मंज़र दिखा रहा है मुझे मेरे पर काटने के बाद 'सहर' घोंसले से गिरा रहा है मुझे