एक याँ क़िस्मत का अपने कुंज-ए-तन्हाई मिला दूसरे जो यार था सो वो भी हरजाई मिला देखिए क्यूँकर हो उस से दोस्तो सोहबत बरार हम तो दीवाने ही थे पर दिल भी सौदाई मिला ब'अद-ए-मजनूँ क्यूँ न हूँ मैं कार-फ़रमा-ए-जुनूँ इश्क़ की सरकार से मलबूस-ए-रुस्वाई मिला जल गया परवाना जिस दम शोअ'ला-रू आया ब-बज़्म ख़ाक में शब शम्अ ने दी महफ़िल-आराई मिला ताला-ए-बेदार की हिम्मत उठानी थी वले उस से शब हम को तमन्ना ख़्वाब में लाई मिला अपनी क़िस्मत में अज़ल से थी लिखी सर-गश्तगी गर्द-बाद आसा जो कार-ए-दश्त-पैमाई मिला वाह-वा रहमत है तुझ को और उस को आफ़रीं राह में बन कर असा जो ख़ार-ए-सहराई मिला दस्त-गीरी ही न की तू ने कि जूँ नक़्श-ए-क़दम ख़ाक में तेरे लिए मैं ऐ तवानाई मिला ख़ूब सा सीधा बनेगा सर्व-ए-गुलशन ऐ 'नसीर' उस की रानाई से गुर्दे का ये ज़ेबाई मिला