एक-आध हरीफ़-ए-ग़म-ए-दुनिया भी नहीं था अरबाब-ए-वफ़ा में कोई इतना भी नहीं था लब जलते हैं मय-ख़्वारों के सीने नहीं जलते इस दर्जा ख़ुनुक शोला-ए-मीना भी नहीं था इक उस का तग़ाफ़ुल है वो याद आ ही गया है इक वादा-ए-फ़र्दा है वो भूला भी नहीं था कह सकते तो अहवाल-ए-जहाँ तुम से ही कहते तुम से तो किसी बात का पर्दा भी नहीं था अब हुस्न पे ख़ुद उस का तसव्वुर भी गिराँ है पहले तो गिराँ ख़्वाब-ए-ज़ुलेख़ा भी नहीं था पहले मिरी वहशत के ये अंदाज़ भी कम थे पहले मुझे अंदाज़ा-ए-सहरा भी नहीं था अब ये है कि थमता हुआ दरिया है तिरी याद बे-फ़ैज़ ये दरिया कभी ऐसा भी नहीं था अच्छा तो मुरव्वत ही तिरा बोसा-ए-लब है अच्छा ये कोई दिल का तक़ाज़ा भी नहीं था मजनूँ के सिवा किस से उठी मिन्नत-ए-दीदार आख़िर रुख़-ए-लैला था तमाशा भी नहीं था
This is a great हिंदी ग़म शायरी. True lovers of shayari will love this बेवफा दुनिया शायरी. Shayari is the most beautiful way to express yourself and this हर्फ़ शायरी is truly a work of art. For some people shayari is the most enjoyable thing in life and they absolutely adore ग़म की शायरी. You can click on the More button to get more ग़म शायरी हिंदी फोटो. Please share if you liked it.