फैलता जाता है नफ़रत का धुआँ इश्क़ करो बुझ न जाए कहीं ये शो'ला-ए-जाँ इश्क़ करो इश्क़ बिन जीने के आदाब नहीं आते हैं 'मीर' साहब ने कहा है कि मियाँ इश्क़ करो कज-अदाई न फ़क़ीरों को दिखाओ यारो एक शब के लिए मेहमाँ हैं यहाँ इश्क़ करो कल न हम होंगे न तुम होगे न ये हंगामे कोई दिन और है ये रंग-ए-जहाँ इश्क़ करो इश्क़ के सौदे में नुक़सान बहुत है 'वाली' पर कभी बंद न हो दिल की दुकाँ इश्क़ करो