तमाम हुस्न-ओ-मआ'नी का रंग उड़ने लगा खिली जो धूप तो पानी का रंग उड़ने लगा इशारा करती हैं चेहरे की झुर्रियाँ चुप-चाप तो क्या बदन से जवानी का रंग उड़ने लगा जदीद रंग में आया जो मिस्रा-ए-ऊला हसद से मिस्रा-ए-सानी का रंग उड़ने लगा किताब-ए-ज़ीस्त के मफ़्हूम को समझते ही यहाँ बड़े बड़े ज्ञानी का रंग उड़ने लगा जो दाइमी था वही रह गया है ज़ेहनों में जो आरज़ी था कहानी का रंग उड़ने लगा मिरी नज़र से मिली 'फ़ैज़' जब नज़र उस की तो मेरे दुश्मन-ए-जानी का रंग उड़ने लगा