फ़लक से चल के यहाँ माहताब आएगा हमारे पास कोई बे-नक़ाब आएगा ख़ुदा के घर को मिटाया है इंतिज़ार करो तुम्हारे सर पे यक़ीनन अज़ाब आएगा तुम्हारे ज़ुल्म-ओ-सितम की सज़ा मिलेगी तुम्हें अज़ाब आएगा और बे-हिसाब आएगा हमारे फ़िक्र-ओ-अमल पर जुमूद तारी है ब-तर्ज़-ए-शोर-ए-क़यामत शबाब आएगा