फ़लसफ़े इल्म ही में होते हैं तजरबे ज़िंदगी में होते हैं जो अंधेरे में भी न होते थे जुर्म वो रौशनी में होते हैं होश में हम से हो नहीं सकते काम जो बे-ख़ुदी में होते हैं वलवले हर ज़बाँ पे होते हों हौसले कम किसी में होते हैं हम जलाते नहीं चराग़ों को रतजगे चाँदनी में होते हैं मौत का एक मरहला क्या है ग़म बहुत ज़िंदगी में होते हैं दर्द के शो'ले रंज-ओ-ग़म के 'शरर' आँसुओं की नदी में होते हैं