फाँस लेती है दिल समझ लेंगे By Ghazal << ख़ुश बयाबाँ में मगर शहर म... हम तो क़ुसूर-वार हुए आँख ... >> फाँस लेती है दिल समझ लेंगे ज़ुल्फ़ करती है बल समझ लेंगे हम सिपाही हैं ओ कमान अबरू तेग़ पकड़े अजल समझ लेंगे निय्यत-ए-शब हराम ऐ साक़ी आज तो सोएँ कल समझ लेंगे आज बे-मिस्ल हो सुख़न में 'नसीम' चार दिन में मसल समझ लेंगे Share on: