फ़रहत-ए-बू-ए-समन निकहत-ए-रैहान-ए-ग़ज़ल तुझ से रौशन है मिरी शम्अ'-ए-शबिस्तान-ए-ग़ज़ल बू-ए-गुल ले के सबा आई घटाएँ छाईं फिर उठा क़ुल्ज़ुम-ए-जज़्बात में तूफ़ान-ए-ग़ज़ल आसमाँ चाँद सितारों से सजा शम्अ' जली शाम क्या आई कि रौशन हुआ ऐवान-ए-ग़ज़ल ज़ुल्म है रेशमीं एहसास पे ख़ंजर रखना नुक्ता-चीं होश कि नाज़ुक है रग-ए-जा-ए-ग़ज़ल ज़र्रा सहरा है यहाँ क़तरा समुंदर है यहाँ कोई देखे तो ज़रा वुसअ'त-ए-दामान-ए-ग़ज़ल दिल मिरा पेच-ओ-ख़म-ए-गेसू-ए-उर्दू का असीर फ़न मिरा शाना-कश-ए-ज़ुल्फ़-ए-परेशान-ए-ग़ज़ल ज़ख़्म खा जाए रग-ए-गुल से अजब क्या है 'अयाज़' वो जो महसूस करे सीने में पैकान-ए-ग़ज़ल