फ़रोग़-ए-दीदा-वरी का ज़माना आया है दिलों की बे-ख़बरी का ज़माना आया है ख़िरद से कह दो कि तन्हा न कट सकेगी ये राह जुनूँ की हम-सफ़री का ज़माना आया है पहनाओ लाला-ओ-नस्रीं को ताज काँटों का तिलिस्म-ए-ख़ुश-नज़री का ज़माना आया है नवेद दी है ये महरूमी-ए-मोहब्बत ने दुआ की बे-असरी का ज़माना आया है निखार आने लगा फिर ख़राबा-ए-जाँ पर ये किस की जल्वागरी का ज़माना आया है कहो सबा से ये वारफ़्ता-हालियाँ छोड़े शुऊ'र-ए-नामा-बरी का ज़माना आया है कहाँ वो दौर कि यक-गूना बे-ख़ुदी माँगें सुरूर-ख़ुद-निगरी का ज़माना आया है बहार लाई है अब के पयाम और ही कुछ दिलों की बख़िया-गिरी का ज़माना आया है सुकूत-ए-नीम-शबी से गुज़र चलो 'हुर्मत' कि नाला-ए-सहरी का ज़माना आया है