फ़क़ीरी में भी रह कर हुक्मरानी छोड़ जाएँगे जहाँ में हम निज़ाम-ए-आसमानी छोड़ जाएँगे बहा कर आँख से आँसू तुम्हारी याद में जानाँ जहाँ में इक समुंदर सी रवानी छोड़ जाएँगे जुदा हो कर भी तुझ से हम नहीं होंगे जुदा हमदम हमारी यादों का आँखों में पानी छोड़ जाएँगे यहाँ इश्क़-ए-हक़ीक़ी में मिटा कर अपनी हस्ती को मोहब्बत की जहाँ में इक कहानी छोड़ जाएँगे जिएँगे गरचे हम 'हादी' यहाँ बे-हैसियत बन कर मगर हर ज़र्रे पर अपनी निशानी छोड़ जाएँगे