फेर लें आँखें मुरव्वत देखना अपनी उल्फ़त देखना मेरी मोहब्बत देखना दो ही दिन में क्या से क्या तुम हो गए आइने में अपनी सूरत देखना ढूँढने पर भी निशाँ मिलता नहीं मर मिटूँ की शान-ए-ग़ुर्बत देखना आह से दर-पर्दा उस को लाग है आइने की ये कुदूरत देखना दाद महजूरी की फिर है जुस्तुजू दे न धोका अपनी क़िस्मत देखना तौबा करना तो बहुत आसान है फिर बदल जाएगी निय्यत देखना मंज़िल-ए-दुनिया नहीं आराम-गाह है अभी रोज़-ए-क़यामत देखना कर ले ओ सफ़्फ़ाक हर जौर-ओ-जफ़ा रह न जाए कोई हसरत देखना का'बे से बुत-ख़ाना में आ ही गए खींच लाई 'शौक़' क़िस्मत देखना