फिर इस से क़ब्ल कि बार-ए-दिगर बनाया जाए ये आईना है इसे देख कर बनाया जाए मैं सोचता हूँ तिरे ला-मकाँ के उस जानिब मकान कैसा बनेगा अगर बनाया जाए ज़रा ज़रा से कई नक़्स हैं अभी मुझ में नए सिरे से मुझे गूँध कर बनाया जाए ज़मीन इतनी नहीं है कि पाँव रख पाएँ दिल-ए-ख़राब की ज़िद है कि घर बनाया जाए बहुत से लफ़्ज़ पड़े हाशियों में सोचते हैं किसी तरह से इबारत में दर बनाया जाए वो जा रहा है तो जाते हुए को रोकना क्या ज़रा सी बात को क्यूँ दर्द-ए-सर बनाया जाए कहीं रुकेंगे तो तारिक़-'नईम' देखेंगे सफ़र में क्या कोई ज़ाद-ए-सफ़र बनाया जाए