फिर कोई आ रहा है दिल के क़रीब दाग़ ताज़ा खिला है दिल के क़रीब फिर कोई याद साया-अफ़गन है धुँदली धुँदली फ़ज़ा है दिल के क़रीब फिर कोई ताज़ा वारदात हुई जमघटा सा लगा है दिल के क़रीब आज भी चैन से न सोइएगा फिर कहीं रत-जगा है दिल के क़रीब कल खिले थे यहाँ नशात के फूल अब धुआँ उठ रहा है दिल के क़रीब