फिर सदा-ए-मोहब्बत सुनी है अभी ज़ख़्म-ए-नौ की सआ'दत मिली है अभी राब्ता दिल का दिल से है काफ़ी मुझे नूर ही नूर में ज़िंदगी है अभी वक़्त बदला है हम तुम तो बदले नहीं वो ही चाहत वही बेबसी है अभी ये जबीं और किसी दर पे झुकती ही क्यूँ उस में तेरी मोहब्बत जुड़ी है अभी कुछ तमन्ना से बढ़ कर भी पाया मगर आरज़ू एक सब से बड़ी है अभी आज भी ज़िंदगानी में जान-ए-'सफ़ी' और सब कुछ है तेरी कमी है अभी