फिर वही मेहरबाँ हुआ आई ऐ मिरी बे-चराग़ तन्हाई बैन करने लगें न सन्नाटे पासदारान-ए-गोश-ओ-गोयाई किस ने तौफ़ीक़ से सिवा पाया दिल ने ग़म आँख ने नमी पाई इश्क़ का अज्र है दिल-ए-रुस्वा पारसाई अज़ाब-ए-दानाई ये उसी शहर के मनारे हैं ऐ तहय्युर-सरिश्त बीनाई! चार जानिब वही धुँदलके हैं गुमरहो! फिर वही गली आई ना-सपासों में बा-वक़ार न बन ऐ मिरी बे-विक़ार गोयाई