फिसला तो मियाँ तय है कि ग़र्क़ाब तो होगा By Ghazal << थकी हुई मामता की क़ीमत लग... जाने वालों के लिए तू और क... >> फिसला तो मियाँ तय है कि ग़र्क़ाब तो होगा आँखों में समुंदर न सही ख़्वाब तो होगा गुम-सुम सा जो इक शख़्स है दालान में बैठा उस का भी कोई हल्क़ा-ए-अहबाब तो होगा मत मुझ से उलझ यार बस इतना सा समझ ले जो ख़ुद को मयस्सर नहीं नायाब तो होगा Share on: