फ़ित्ना-गर क्या मकान से निकला आसमाँ आसमान से निकला दिल में रहने न दूँ तिरा शिकवा दिल में आया ज़बान से निकला वह्म आते हैं देखिए क्या हो वो अकेला मकान से निकला सच तो ये है मुआ'मला दिल का बाहर अपने गुमान से निकला मेरे आँसू की उस ने की तारीफ़ ख़ूब मोती ये कान से निकला हम खड़े तुम से बातें करते थे ग़ैर क्यों दरमियान से निकला ज़िक्र अहल-ए-वफ़ा का जब आया 'दाग़' उन की ज़बान से निकला