फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे मिट भी जाएँगे तो हम इक दास्ताँ हो जाएँगे मैं ने तेरे साथ जो लम्हे गुज़ारे थे कभी आने वाले मौसमों में तितलियाँ हो जाएँगे क्या ख़बर किस सम्त में पागल हवा ले जाएगी जब पुराने कश्तियों के बादबाँ हो जाएँगे तुझ को शोहरत की तलब ऊँचा उड़ा ले जाएगी दूर तुझ से ये ज़मीन-ओ-आसमाँ हो जाएँगे याद आएगी उन्हें क्या क्या हमारी बे-हिसी जब हमारे अहद के बच्चे जवाँ हो जाएँगे मेरे नग़्मे मेरी ख़ातिर कुछ भी हों 'वाली' मगर आग बरसाती रुतों में बदलियाँ हो जाएँगे