फूल ख़ुशबू से जड़े रहते हैं यूँ तिरे साथ खड़े रहते हैं रात होते ही तिरी याद में गुम एक कोने में पड़े रहते हैं हसरतें और भी हैं अपनी मगर हम फ़क़त तुझ पे अड़े रहते हैं टूट जाए न कहीं ज़ब्त मिरा इश्क़ के घात बड़े रहते हैं क़द हमारे हों अगर छोटे भी धूप में साए बड़े रहते हैं देख कर 'शोख़' हमें साथ सभी जाने क्यों लोग सड़े रहते हैं