फूल क्या चीज़ है कली क्या है बिन तुम्हारे ये ज़िंदगी क्या है उजड़े दिल से ज़रा कोई पूछे सूने सहरा में दिल-लगी क्या है वो जो नौहा पढ़ा करे बुलबुल क्या बताएगा नग़्मगी क्या है मेरी गुफ़्तार सिद्क़-ए-पैहम है फिर ये सूरज की रौशनी क्या है गर तरद्दुद हो आज़मा देखो हाथ कंगन को आरसी क्या है मेरी आँखों में पड़ गए हल्क़े कोई पूछे कि दिल-लगी क्या है पर्दा चेहरा से थोड़ा सरका दो हम भी देखें कि मय-कशी क्या है एक पुर्ज़ा सही मगर लिख दो पढ़े लिक्खे को फ़ारसी क्या है जाम-ए-दीदार अब पिला भी दो हद से बढ़ कर ये बे-रुख़ी क्या है यक-ब-यक आ गई 'फ़लक' से सदा ये शिकायत की फुलझड़ी क्या है