फूल मेरी ज़ात के सहराओं में बो जाएगा आने वाली बारिशों में वो मिरा हो जाएगा वो तो इक दरवेश है शहर-ए-वफ़ा की ख़ाक पर हिज्र की ओढ़ेगा चादर चैन से सो जाएगा कोई भी मरता नहीं है मरने वाले के लिए वो भी सब के साथ आएगा मुझे रो जाएगा चाँद तारों की मोहब्बत ज़ेब देती है उसे बस ये ख़दशा है ख़लाओं में कहीं खो जाएगा वो अगर बरसे तो सारी गर्द दश्त-ए-हिज्र की एक पल में तेज़ बारिश की तरह धो जाएगा एक का बन कर रहेगा तो ज़माना है 'नईम' बेवफ़ा जिस दिन हुआ लम्हों का वो हो जाएगा