फूल नहीं तो काँटा दे By Ghazal << बातें तो कुछ ऐसी हैं कि ख... लोग हर-चंद पंद करते हैं >> फूल नहीं तो काँटा दे मुझ को कोई तोहफ़ा दे शबनम माँग रहे हैं गुल अपनी आँखें छलका दे पत्थर काट के कीड़े को पालने वाला दाना दे धूप में जलता है दिन भर सूरज को इक चश्मा दे 'हाफ़िज़' वक़्त अगर चाहे हातिम को भी कासा दे Share on: