गए हम जो उल्फ़त की वाँ राह करने इरादे से चाहत के आगाह करने कहा उस ने आना हुआ किस सबब से कहा आप के दिल को हमराह करने बिठाया और इक चुटकी ली ऐसी जिस से लगे मुँह बना हम वहीं आह करने जो ये शक्ल देखी तो चुटकी बजा कर कहा यूँ 'नज़ीर' और लगा वाह करने मियाँ एक चुटकी से की आह रुक कर इसी मुँह से आए हो तुम चाह करने