गई रुतों को भी याद रखना नई रुतों के भी बाब पढ़ना गुलाब-चेहरों ने जो लिखी है तमाज़तों की किताब पढ़ना तमाम रंगों की एक रंगत तमाम मौसम की एक निगहत तमाम चेहरे हसीन लिखना तमाम आँखें सराब पढ़ना हर एक आँगन ख़मोश पहरे हर एक लब पर सुकूत तारी हमारे घर घर जो टूटते हैं क़यामतों के अज़ाब पढ़ना खुली फ़ज़ाओं में पर-कुशाई मिरे लहू का ख़मीर ठहरी मगर मिरे उन कटे परों में उड़ान के इज़्तिराब पढ़ना मिरे ख़यालों में आज भी हैं वो बाँकपन की महकती रातें किसी की आँखों से जाम पीना किसी बदन के गुलाब पढ़ना बस एक रस्ता है गुफ़्तुगू का बस एक सूरत है राब्ते की ख़तों में उन से सवाल करना ख़तों में उन के जवाब पढ़ना 'हसन' हमारी उदास आँखें किसी की आँखों से कह रही हैं जो हम ने तुम ने कभी बुने थे विसाल-लम्हों के ख़्वाब पढ़ना