ग़ज़ल का परतव नई ज़मीनों से जा मिला है पता चला है सुख़न ख़ज़ीनों से जा मिला है मुनाफ़िक़ों को सराहता हूँ मुनाफ़िक़त से शरीफ़ शाइ'र भी अब कमीनों से जा मिला है इसी लिए तो मैं इश्क़ से पीछे हट रहा हूँ ये सिलसिला भी तमाश-बीनों से जा मिला है सराहने लग गया जुनूँ हर किसी को साहब ये वो मकाँ है जो ख़ुद मकीनों से जा मिला है विसाल-रुत ने सभी को खींचा है अपनी जानिब हमारा दिल भी कई हसीनों से जा मिला है बचा रहा था मैं बे-वफ़ाओं से इश्क़ 'मन्नान' मगर ये सज्दा उन्हीं जबीनों से जा मिला है