ग़ालिबन वक़्त की कमी है यहाँ वर्ना हर चीज़ दीदनी है यहाँ सारे रस्ते इधर ही आते हैं ये जो आबाद इक गली है यहाँ ये हवा यूँ ही ख़ाक छानती है या कोई चीज़ खो गई है यहाँ ज़िंदगी ही मिरा असासा है वो भी तक़्सीम हो रही है यहाँ क्यूँ अंधेरा नज़र नहीं आता कौन सी ऐसी रौशनी है यहाँ मौत कासा उठाए फिरती है और तही-दस्त ज़िंदगी है यहाँ मेरे अंदर का शोर है मुझ में वर्ना बाहर तो ख़ामुशी है यहाँ शहर अपना दिखाई देता है वैसे हर शख़्स अजनबी है यहाँ कौन सी शय है दाइमी 'ग़ाएर' कौन सी बात आख़िरी है यहाँ